1. राजस्थान संगीत नाटक अकादमी,जोधपुर- राज्य में सांगीतिक,नृत्य एवं नाट्य विधाओं के प्रचार-प्रसार,संरक्षण एवं उन्नयन करने तथा उनके माध्यम से राष्ट्र की सांस्कृतिक एकता को बढावा देने के उदेद्श्य से 1957 में एक स्वायत्तशासी संस्था के रूप में इसकी स्थापना की गई।
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Literature, art and music of Rajasthan chief Snsthan |
2. राजस्थान संगीत संस्थान, जयपुर-संगीत शिक्षा की समृद्वि के लिये सन् 1950 में स्थापित यह संस्थान विभिन्न वाद्यों,नृत्य एवं गायन का प्रशिक्षण प्रदान करता है एवं समय-समय पर ख्यातनाम संगीतज्ञों के कार्यक्रम आयोजित करता है।
3. जयपुर कथक केन्द्र,जयपुर- जयपुर कथक घराने की प्राचीन एवं शास्न्नीय नृत्य शैली को पुनर्जीवित कर उसके उन्नयन के लिये सरकार द्वारा 1978 में स्थापित यह संस्थान कथक नृत्य का प्रशिक्षण एवं नृत्य शिक्षा देने का कार्य कर रहा है।
4. भारतीय लोक कला मंडल,उदयपुर- पद्मश्री देवी लाल सामर द्वारा प्रदर्शनकारी लोक कलाओं एवं कठपुतलियों के शोध, संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के उदेद्श्य से 1952 में स्थापित संस्थान में लोक-संस्कृति संग्रहालय है।
5. पश्चिमी क्षेन्न संास्कृतिक केन्द्र,उदयपुर-देश की लुप्त हो रही कलाओें के पुनरूत्थान करने, कलाकारों काके उपयुक्त मंच उपलब्ध कराकर उनकी कला को समुन्नत करने एवं प्रचार-प्रसार के लिये भारत सरकार द्वारा स्थापित सात क्षेन्निय केन्द्रों मेें से एक यह केन्द्र 1986 में स्थापित किया गया था जिसका कार्यक्षेन्न गोवा, महाराष्ट्र,गुजरात, और राजस्थान है। हस्तशिल्पियों के विकास के लिये उदयपुर के निकट शिल्पग्राम भी स्थापित किया गया है।
6. जवाहर कला केन्द्र,जयपुर- राज्य की पारम्परिक एवं विलुप्त हो रही कलाओं के संरक्षण ,खोज एवं संवद्र्वन करने एवं उनका समन्वित विकास करने के लिये स्थापित इस केन्द्र का उद्घाटन 8 अप्रेल 1993 को तत्कालीन राष्ट्रपति श्री शंकरदयाल शर्मा द्वारा किया गया था। इसके भवन के वास्तुविद् श्री चाल्र्स कोरिया थे।
7. रूपायन संस्थान, बोरूंदा जोधपुर- राजस्थान की लोक कलाओं ,लोक संगीत एवं वाद्यों के संरक्षण,लुप्त हो रही कलाओं की खोज व उन्नयन एवं लोक कलाओं को प्रोत्साहित कर उनके विकास के लिये स्व. कोमल कोठारी द्वारा समर्पित संस्थान जिसके निदेशक पद्मश्री कोमल कोठारी है। वर्तमान में इस संस्थान का मुख्यालय जोधपुर में है।
8. राजस्थान स्कूल आॅफ आर्ट- यह राज्य का महत्वपूर्ण कला संस्थान है जिसकी स्थापना जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई रामसिंह ने मदरसा-ए-हुनरी के नाम से की थी।
9. रविन्द्र मंच सोसायटी,जयपुर- नृत्य नाटक व संगीत कला के उत्थान के लिये वर्ष 1963 में स्थापित ।
ललित कला के विकास से संबधित प्रमुख संस्थाएं।
1. ललित कला अकादमी, जयपुर- राजस्थान की दृश्य तथा शिल्पकला की प्रवृत्तियों के प्रोत्साहन एवं विकास के लिए और प्रांत की सांस्कृतिक एकता स्थापित करने के लिए 24 नवम्बर 1957 को स्थापित ।
2. राजस्थान स्कूल आॅफ आर्ट एंड क्राफट्स,जयपुर- जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह द्वारा जयपुर में मदरसा-ए-हुनरी की स्थापना की गई। कालान्तर में यह महाराजा स्कूल आॅफ आर्ट एंड क्राफ्ट्स के नाम से जाना जाने लगा।
3. राष्ट्रीय ललिता कला अकादमी,नई दिल्ली- भारतीय कला के प्रति देश विदेश में समझ बढाने और प्रचार-प्रसार के लिए भारत सरकार द्वारा नई दिल्ली में सन् 1954 में स्थापित ।
विभिन्न भाषा अकादमियों की पत्रिका -
1. मधुमति-राजस्थान साहित्य अकादमी,उदयपुर की मासिक पत्रिका ।
2. जगती जोत- राजस्थानी भाषा,साहित्य एवं संस्कृति अकादमी , बीकानेर की मासिक पत्रिका ।
3. रिहाण- राजस्थान सिंधी अकादमी,जयपुर की वार्षिक साहित्यिक पत्रिका ।
4. ब्रज शतदल- राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर की न्नैमासिक पत्रिका ।
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