जातक की कुंडली में यदि कालसर्प योग विद्यमान होता है। तो जातक का जीवन में अत्यधिक संघर्ष करना पडता है। लेकिन व्यवहार में यह भी पाया गया है कि जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प योग है उन्हें उनके जीवन में संघर्ष और अवरोध के बावजूद भी कार्यक्षेत्र में आश्चर्य जनक सफलता यश और प्रतिष्ठा भी प्राप्त होती देखी गई है।
जिन जातको को कालसर्प योग के कारण जीवन में असफलताये मिल रही है और कठिन मेहनत करने के बाद भी सफलता नही मिलती उन जातको के लिये एक संतो का अनुभव सिद्व उपाय नीचे दिया गया है। इस उपाय को करने से कालसर्प से पीडित जातक के जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। उसके कैरियर, विवाह और जीवन में आश्चर्यजनक सफलता मिलने लगती है।
उपाय कैसे करें- किसी भी सोमवार से इस उपाय को किया जा सकता है। इसके लिये आप मार्केट से चन्दन का इत्र या सेन्डल परफयूम लेकर आना है। अब आपको नीचे दिया गया राहुकाल के समय शिव जी के मन्दिर में शिव लिंग पर चन्दन का इत्र लगाना है। और इस नीचे दिये गये मंत्र का रोजाना पांच बार पाठ करना है। यह उपाय केवल राहुकाल के समय ही करना है।
हिन्दी अनुवाद- जो कोई मन्दिर भगवान शिव लिंग के समीप उनके इस पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करता है, उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है। और वहाॅं वह शिव के साथ प्रसन्न रहता है।
राहुकाल का समय ज्ञात करें।
रविवार- शाम 4 बजकर 30 मिनट से 6 बजे तक। सोमवार- सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक। मंगलवार- दोपहर 3 बजे से शाम 4 बजकर 30 मिनट तक। बुधवार- दोपहर 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक। गुरूवार- दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक। शुक्रवार- प्रातः 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक। शनिवार- प्रातः 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक। विशेष कथन- सूर्याेदय में 5 मिनट से 30 मिनट तक अन्तर होता है। इसलिये अपने शहर के सूर्योदय के अनुसार राहुकाल का समय निश्चित कर लें।